आर डी सी (RDC) क्‍या है? आर डी सी में क्‍या क्‍या होता है? आर डी सी कैसे जा सकते हैं?

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 आर डी सी (RDC) क्‍या है? दोस्‍तों आर डी सी का पूरा नाम रिपब्लिक डे कैम्‍प होता है। ये कैम्‍प नई दिल्‍ली में डी जी एन सी सी कैम्‍प में लगता है। आर डी सी कैम्‍प में वही लड़के-लड़कियाँ जाते है जो एन सी सी में शामिल रहते है  आर डी सी कैम्‍प जाना क्‍यों महत्‍वपूर्ण है? दोस्‍तो आर डी सी कैम्‍प में जाने के लिए आपको कई सेलेक्‍शन प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। दिल्‍ली में  पूरे भारत से कैडेट चुन-चुन कर आते हैं और पूरे भारत से आये हुए कैडेटों में से ही केवल 147 कैडेटों का सेलेक्‍शन राजपथ परेड के लिए होता है तो आर डी सी कैम्‍प इसलिए होता है कि पूरे भारत से आए हुए कैडेटों में से 147 कैडेट जो ड्रिल में बेस्‍ट हो परेड अच्‍छा करते हो उनका चुनाव करके 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर होने वाले परेड समारोह में 147 कैडेटों को शामिल किया जाता है।147 लड़के सीनियर डिविजन के कैडेट और 147 लड़कियॉं सीनियर डिविजन के कैडेट शामिल होते है। और इनके साथ-साथ लड़कों का बैण्‍ड कोन्टिजेन्‍ट और लड़कियों का बैण्‍ड कोन्टिजेन्‍ट भी शामिल होते हैं। आर डी सी में इसके अलावा और क्‍या-क्‍या होता है? राजपथ परेड के अलावा कई तरह-तरह के कॉम्‍

NCC RDC MY STORY आरडीसी कैम्‍प में क्‍या-क्‍या होता है?

NCC TIME MY STORY AND ABOUT OF RDC  

राजपथ परेड 2016 नई दिल्‍ली 

मेरा नाम राघवेन्‍द्र सिंह बिन्‍द है। मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ सोचा है कुछ कर दिखाने का, पापा का नाम रौशन करने का, और गाँव का नाम रौशन करने का।

मैं कक्षा 11 से एनसीसी में सामिल होना चाहता था। इसके लिए मैंने दौड़ का अभ्‍यास बहुत अच्‍छी तरह से किया। और मैं नेशनल इंटर कालेज हण्डिया में एनसीसी में सामिल हो गया। एनसीसी में जाने के बाद मुझे एक अच्‍छा कैडेट बनना था, इसके लिए मैं अपने एएनओ सर और अपने आर्मी पीआई स्‍टाफ की बाते अच्‍छे से सुनता था। और उनके बातो और सभी नियमों का पालन करता था। मैं एनसीसी में रह कर एकता और अनुशासन में रहना सीख लिया। कक्षा 12 में, मैं RDC(Republic day camp) के लिए मैं इलाहाबाद में कैम्‍प में गया। वहाँ मुझे अनुशासन में रहना गलत न सोचना ये सभी अच्‍छी सीख मिली। मैं कैम्‍प में अपने समय से उठ जाता था। और अपने समय से फ्रेस होकर यूनिफार्म पहनकर सुबह 6 बजे हथियार लेकर परेड ग्राउण्‍ड में पहुँच जाता था। मैंने ड्रिल में खुब मेहनत किया और फिर मेरा चयन हुआ आईजीसी कैम्‍प 2014 के लिए, जो लखनऊ में कैम्‍प लगा था। लगभग 55 सभी चयनित कैडेट लखनऊ गये। वहाँ पुरे उत्‍तर प्रदेश के सभी जिलों से कैडेट चुन-चुन कर आते है। पुरे उत्‍तर प्रदेश के 11 ग्रुप  से लगभग 120 कैडेट ही आर डी सी जाते है। जो 10 दिन के कैम्‍प में सभी ग्रुप के कैडेटो का ड्रिल, गार्ड ऑफ ऑनर, बैले डांस, ग्रुप डांस, ग्रुप सांग, फ्लैग एरिया, नाटक, सात तरह के कॉम्‍पटिशन होता है। इस कैम्‍प में मेरा आरडीसी के लिए चयन नहीं हुआ। फिर भी मेरा आरडीसी जाने का जोस कम नहीं हुआ और मैं वापस आकर अगले साल के लिए तैयारी में लग गया। मेरा एक सपना था कि‍ मुझे आरडीसी जाना है तो जाना है चाहे जो हो जाये।

फिर मैं अगले साल इलाहाबाद कैम्‍प में ड्रिल में और अच्‍छी मेहनत किया। और आखिर में मैं आईजीसी कैम्‍प नोयडा गया, जहाँ मेरा आरडीसी 2016 के लिए चयन हो गया, और मेरा लक्ष्‍य था कि मुझे गणतंत्र दिवस पर परेड करना है। राजपथ पर परेड करना है। फिर मैं 30 दिसम्‍बर 2015 को दिल्‍ली आरडीसी में पहुँच गया। पुरे उत्‍तर प्रदेश से 117 कैडेट जिसमें 75 लड़के, 42 लड़कियां आरडीसी गये थे। 1 जनवरी 2016 से हम लाेगो का कॉम्‍पटिशन शुरू हो गया, और मेरा चयन राजपथ परेड के लिए हो गया। पुरे भारत से केवल 147 कैडेट ही राजपथ परेड में सामिल होते है। उस परेड में पहले मैं बीच की लाईन में खड़ा था, फिर मैंने सोचा की कितना मेहनत करके 2 मह‍ीने बाद आरडीसी आया और क्‍या मैं परेड के आगे लाइन में नहीं आया तो क्‍या फायदा। इसलिए मैंने और अच्‍छा परेड किया तब जाके मैं पहले लाईन का दाहिने से पहला कैडेट हुआ, यानि All India right marker के लिए चयन हो गया। उसके बाद परेड की प्रैक्टिस करने के दौरान मेरा बाँया पैर जुते के अन्‍दर-अन्‍दर सूज गया था। और मेरा पैर बहुत दर्द भी करता था परेड के दौरान फिर भी मैंने हार नहीं मानी और किसी को बताये बिना मैं परेड करता गया अगर मैं किसी सर को बता देता तो मुझे परेड कोन्टिजेन्‍ट से बाहर निकाल देते इसलिए मैंने किसी को नहीं बताया‍। और मुझे दिल्‍ली में परेड सिखाने वाले आर्मी ड्रिल इंस्‍ट्रक्‍टर सर मुझे बहुत साबासी दिये और मुझे अपने गले लगा लिए और बाले की पहली बार कोई उत्‍तर प्रदेश का कैडेट All India right marker बना है। राजपथ परेड की प्रैक्टिस करने के लिए मैं रात 10 बजे सोता था और फिर तीन घंटे सोने के बाद 1 बजे उठकर फ्रेस होने जाता था फिर वर्दी पहनकर हथियार लेकर ग्राउंड में जाकर लड़कियों को हथियार देता था। फिर गरम-गरम चाय पीन के बाद बस में बैठकर राष्‍ट्रपति भवन के‍ लिए सुबह 3 बजे ही निकल जाते थे। राष्‍ट्रपति भवन पहुँचते ही वहाँ इतना जोस आता था, कितना गर्व महशूस करते थे। वो लड़कियों का बैण्‍ड ग्रुप और लड़कों का बैण्‍ड ग्रुप में कितना अच्‍छा धुन था, सेना गीत में-

कदम-कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा,

ये जिन्‍दगी है कौम की, तु कौम पे लुटाये जा

आर्मी वालों का बैण्‍ड और परेड देखने में कितना अच्‍छा लगता था। जो मैंने 2015 में टीवी पर देखा था, वही 2016 में मैं खुद वहाँ जाकर परेड देखा भी और परेड किया भी। जब परेड करके हम इंडिया गेट पहुँचते थे। तब वहाँ हम दाहिने देखकर अमर जवान ज्‍योतिपर सलामी देते थे। और आखिर में वो एक दिन आ ही गया जिस दिन का मुझे बेसबरी से इंतजार था। 26 जनवरी 2016 को हम लोगो का परेड देखने के लिए वहाँ कई लाख जनता आयी थी।

 और फ्रांस के राष्‍ट्रपति भी आये थे, और फ्रांस की सेना भी आये थे। जो अपने बैण्‍ड के साथ राजपथ पर परेड कर रहे थे। हम सारे कैडेट एक साथ कितना अच्‍छा परेड किया और हम लोगो के परेड देखकर वहाँ बैठे लोगो ने मेरे परेड कोन्टिजेन्‍ट को और भी जोश से भर दिये तब उस दिन मुझे बहुत गर्व महशूस  हुआ की हाँ मैंने कुछ अच्‍छा कर दिखाया। फिर हमने स्‍टेड के सामने दाहिने देखकरस्‍लूट किया फिर सामने देखकर के इंडिया गेट के आगे जाकर थम कर दिया।

 

 

परेड के बाद कैम्‍प में वापस आने के बाद मेरे दोस्‍तों ने मुझे शाबासी दिया। 28 जनवरी को प्रधानमंत्री रैली हुआ था। जो 17 मंडल के कैडेट अपना अलग-अलग डारेक्‍ट्रेट बाई कुछ कैडेट ही परेड करते है। जो कैडेट राजपथ परेड में थे वो प्रधानमंत्री रैली में नहीं थे। इसलिए मैं प्रधानमंत्री रैली में नहीं था। और उस दिन प्रधानमंत्री माननीय नरेन्‍द्र मोदी आये थे। प्रधानमंत्री को सलामी देने के लिए गार्ड ऑफ ऑनर कोन्टिजेन्‍ट होते है। और उत्‍तर प्रदेश डारेक्‍ट्रेट की जो लखनऊ ग्रुप की कैडेट थी अर्चना पाण्‍डेयको प्रधानमंत्री का मार्चिंग  पायलट बनने का मौका मिला।
 
प्रधानमंत्री रैली खतम होने के बाद हम सब केवल राजपथ परेड वाले कैडेट म्‍यूजियम टैंक देखने गये, जहां बड़े-बड़े टैंक को बनाया जाता है। और वहाँ टैंक को कितना तेज चला सकते है यह भी दिखाया गया। टैंक में जो खास बाते थी वह भी हमें वहाँ के आर्मी स्‍टाफ ने बताया। इससे पहले हम राजपथ वालों का 27 जनवरी 2016 को राष्‍ट्रपति भवन में हमारा विजिट था।
राष्‍ट्रपति भवन को देखा तो बहुत ही अच्‍छा लगा। लेकिन वहाँ फोटो लेना मना था और मोबाइल भी अन्‍दर ले जाना मना था। अन्‍दर जाने के बाद राष्‍ट्रपति
माननीय प्रणव मुखर्जीआये। और वहाँ कुछ सांस्‍कृतिक कार्यक्रम भी हुआ। और फिर राष्‍ट्रपति के साथ हमारा फोटो भी लिया गया। फिर हम लोग वहाँ नास्‍ता भी किये। उसके बाद वापस कैम्‍प में आये।

इससे पहले हम सब कैडेट 9 जनवरी को दिल्‍ली के प्रमुख स्‍थल- कुतुबमीनार, लोटस टेम्‍पल, राजघाट (महात्‍मा गाँधी समाधी स्‍थल) और लाल किला,

 

 इन चार स्‍थानों पर घूमने गए थे। दिल्‍ली के इन स्‍थानों पर घूमकर बहुत अच्‍छा लगा की हम आर्मी वालों के साथ घुम रहे थे। मानों ऐसा लग रहा था कि हम भी आर्मी में है। और अगले दिन 10 जनवरी को हम सब आगरा घूमने के लिए गए। आगरा का ताजमहल देखने में तो बहुत बड़ा है, और बहुत सुन्‍दर भी है।

आगरा में आगरा का फेमस पेठा खाने में बहुत ही स्‍वादिष्‍ट था। मैंने ताजमहल का अच्‍छा- अच्‍छा फोटो भी लिया। हम आगरा घूमने के बाद एनसीसी बटालियन में जाकर खाना भी खाये फिर दिल्‍ली के लिए निकल पड़े। दिल्‍ली हम 9 बजे रात को पहुँचे फिर खाना खाये और सो गये। अब हम सब 29 जनवरी को अपना-अपना सामान पैक किया
, लखनऊ जाने के लिए। लेकिन रात 9 बजे ग्राउंड में उत्‍तर प्रदेश के कैडेटों को बुलाया गया और एक कैडेट नहीं था। वो गााजियाबाद ग्रुप का कैडेट था वह कैडेट जाकर जम्‍मु-कश्‍मीर के कमरे मे सो गया था। वो जब नहीं मिला तो हमारे आर्मी के कर्नल सर भी आ गए। फिर वो कैडेट मिला तो कर्नल सर ने हम सब को पनिस्‍मेन्‍ट देने लगे। बार-बार टच इन बैक, टच इन बैकबोलकर हम लोगो को थका दिये फिर वर्दी भी पहनना पड़ा। जो पैक करके रखे थे, सब निकालना पड़ा। और 12 बजे रात को फिर से पैक करना पड़ा। फिर रात को ही हम सब केक काटकर खाये, जो कैम्‍प के तरफ से मिला था। 31 जनवरी को हम सब उस आरडीसी कैम्‍प का एक याद लेकर दिल्‍ली स्‍टेशन गए। और फिर अगले दिन लखनऊ पहुँच गए।

मैं आरडीसी के हर एक मोमेन्‍ट को बहुत मिस करता हुँ। काश वो समय फिर से दोबारा आये। 1 फरवरी से लखनऊ में हमारा 7 दिन का कैम्‍प था। इस कैम्‍प में मैं और राघवेन्‍द्र प्रताप सिंह(नेवी के कैडेट), और संजय कुमार यादव जो गोरखपुर ग्रुप से थे। हम तीनों को निशान टोली के लिए चयन हुआ। हम तीनों एक साथ बैनर झन्‍डे को लेकर ड्रिल की प्रैक्टिस करते थे।

जो आर्मी के स्‍टाफ के.के. तिवारी सर(कोबरा कमान्‍डो) थे और तमाम स्‍टाफ ANO मैम ने हमारे निशान टोली परेड को सपोट किया। और हम 6 फरवरी को उत्‍तर प्रदेश के राज्‍यपाल माननीय श्री राम नायिकद्वारा बेस्‍ट कैडेटों को मेडल दिया गया। और राज्‍यपाल के साथ फोटो भी लिया गया।
हम सब उत्‍तर प्रदेश के एनसीसी के निर्देशक (ADG) या उत्‍तर प्रदेश निर्देशालय के एडीजी मेजर जनरल S.S मामकके साथ और हमारे इलाहाबाद के ब्रिग्रडियर के साथ हम सब पार्टी भी किये। राज्‍यपाल भवन में मैं चारों तरफ घूमकर बहुत अच्‍छा महशूस किया। और वहाँ आये हुए सारे आर्मी ऑफिसर, नेवी ऑफिसर, एयर फोर्स ऑफिसर सब ने हमें बहुत अच्‍छी-अच्‍छी बात बतायी और भविष्‍य में हम हमेशा अनुशासन में रहे, अच्‍छे काम करे बुरे कर्मों से दूर रहे, अच्‍छे लोगों के साथ अच्‍छा बर्ताव करें, हर रोज हम अच्‍छे लोगो से कुछ न कुछ सीखें और दूसरों को भी सिखायें, और जीवन में हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। ये सभी अच्‍छी बातें हमें बतायें। जब हम अच्‍छा सोचेंगे तो हमेशा खुश रहेंगे अगर गलत सोच रहेगी तो खुशी हमसे दूर रहेगी। हम लखनऊ में ब‍ड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, और फरवरी माह में लगने वाला एक माह का मेला होता है इन सभी स्‍थानों पर घूमने भी गए थे। फिर 7 फरवरी को सब अपने-अपने घर जाने लगे। मेरा एक सबसे पक्‍का दोस्‍त माई बेस्‍ट फ्रैन्‍ड अनुप कुमार भारतीय(गोरखपुर) मुझसे बिछड़ गया। हम दोनो एक साथ एक प्‍लेट में खाते थे एक साथ सोते थे, एक दूसरे की मदद करते थे, मेरे दोस्‍त मैं आपको बहुत मिस करता हुँ। मैं जब भी आरडीसी के समय को सोचता हुँ तो मेरे आँखो में आँसु आ जाते है। काश एक बार फिर से हम सब दोस्‍त एक साथ मिले और फिर आरडीसी जाये। फिर हम सब 7 फरवरी को इलाहाबाद 9 बजे रात आ गये। और सुबह 8 फरवरी को हम 11 कैडेट मैं (राघवेन्‍द्र सिंह बिन्‍द), सचिन शाही, दीपक कुश्‍वाहा, दुर्गेश विश्‍वकर्मा(कैसियो,तबला,ढ़ोलक मास्‍टर), JDकैडेट - अभिषेक गोस्‍वामी, JWकैडेट- दिक्षा पाण्‍डेय, नवी के कैडेट- राघवेन्‍द्र प्रताप सिंह, अभिजीत कुश्‍वाहा, अजीत सिंह, विशाल कुमार। हम सभी ब्रिगेडियर सर, (15.UP.BN) 15 यूपी बटालियन के कर्नल सर और इलाहाबाद ग्रुप के ऑफिसर्स के साथ सुबह 9 बजे पार्टी भी किये। उसके बाद हम सब अपने-अपने घर के लिए निकल गये। और लगभग दो महीने बाद मैं घर वापस आया। और इसी तरह एनसीसी आरडीसी का एक परिवार एक दूसरे से बिखर गये, सब अपने अपने घर चले गए।

जय हिन्‍द, जय भारत, जय भारतीय सेना        (धन्‍यवाद)

 

 

 


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