आर डी सी (RDC) क्या है? आर डी सी में क्या क्या होता है? आर डी सी कैसे जा सकते हैं?

सफलता प्राप्त करने के लिए लगन, मेहनत और आत्मविश्वास तीनों जरूरी हैंं। ये तीनों हर व्यक्ति के भीतर मौजूद रहते हैं। आवश्यकता होती हैं, तो सिर्फ इन्हें जगाने की। इन तीनों के जागते ही बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान चुटकियों में निकल आता है।
कुछ समस्याएं परिस्थितिजन्य होती है और कुछ मार्ग में बाधा पहुंचाने के लिए प्रतिद्वन्दियों द्वारा जान-बूझकर उत्पन्न की जाती है। तब स्थिति और भी विकट हो जाती है, जब समस्या उत्पन्न करने वाला व्यक्ति सामने ही हो। यह व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा की घड़ी होती है। ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए महात्मा बुद्ध की उस कक्षा का उल्लेख प्रसंगिक है, जिसमें महात्मा बुद्ध बुद्धत्व प्राप्त करने के पूर्व सिद्धार्थ के रूप में पीपल के वृक्ष के नीचे तपस्यारत थे। उनकी तपस्या का लक्ष्य ज्ञान अर्थात बुद्धत्व की प्राप्ति था। कहा जाता है कि सिद्धार्थ के इस तप से देवराज इंद्र विचलित हो उठे। उन्होंने सिद्धार्थ का ध्यान भंग करने के लिए अनेक प्रकार के प्रयास किए। कभी सर्प दंश का प्रयोग किया, कभी आंधी-तूफान का प्रकोप पैदा किया, तो कभी अप्सराओं को भेज कर ध्यान भंग करने का प्रयास किया। सिद्धार्थ इन समस्याओं से तनिक भी विचलित नहीं हुए उन्होंने अपने लक्ष्य पर अपना ध्यान केंन्द्रित किए रखा। अंतत: इंद्र को हार माननी पड़ी और सिद्धार्थ को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई।
यह आवश्यक नहीं है कि हर समस्या का समाधान किया जा सके। ऐसी स्थिति में समस्या को अपने ऊपर हावी न होने देने में ही समाधान निहित होता है। अक्सर समस्याएं सामने आई होती हैं परंतु ऐसे में सफलता के लिए जो अवसर मिलते भी है, वे भी बिन सतर्क रहे खो जाते हैं क्योंकि अक्सर हम लोग उन अवसरों को अनदेखा कर देते हैं, जो सामने होते हैं, क्योंकि हमारा ध्यान जीवन की छोटी-छोटी समस्याओंं में उलझा रहता है।
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